हिमाचल का गौरव डॉ. अशोक

क्षुद्रग्रह का नामकरण प्रदेश के सुपूत पर 

प्रथम इम्पैक्ट ब्यूरो 
शिमला। हिमाचल के बेटे और नासा के वैज्ञानिक डॉ. अशोक वर्मा के नाम पर क्षुद्रग्रह का नामकरण किया गया है। अंतरिक्ष खगोलीय संघ के वर्किंग ग्रुप स्मॉल बॉडीज नोमनक्लेचर ने दुनिया के जिन वैज्ञानियों के नाम पर क्षुद्रग्रहों के नाम रखने ऐलान किया है, उनमें चार भारतीय वैज्ञानिक शामिल हैं। इन्हीं में पहाड़ी राज्य हिमाचल के 39 वर्षीय डॉ. अशोक वर्मा भी शामिल हैं। क्षुद्रग्रह 2001 एफजी 122 का नामकरण डॉ. अशोक वर्मा पर किया गया है। 
सोलन में 1984 में जन्मे अशोक वर्मा दो साल से नासा में भारतीय खगोल वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने क्षुद्रग्रहों के लिए कक्षा निर्धारण सॉफ्टवेयर विकसित किया है। उन्होंने बड़ी कक्षीय पूर्वता दर के साथ निकट पृथ्वी क्षुद्रग्रहों के राडार और ऑप्टिकल अवलोकनों के साथ पैरामीटर युक्त पोस्ट-न्यूटोनियन पैरामीटर बीटा और सौर जे 2 की मात्रा निर्धारित करने की संभावनाओं का मूल्यांकन भी किया है। 
क्षुद्रग्रह खगोलीय पिंड होते हैं, जो ब्रह्मांड में विचरण करते हैं। क्षुद्रग्रह आकार में अन्य गृहों से छोटे, लेकिन उल्का पिंडों से बड़े होते हैं। अंतरिक्ष खगोलीय संघ खगोलविदों का एक अंतरराष्ट्रीय संघ है, जिसका मिशन अनुसंधान, संचार, शिक्षा और विकास सहित खगोल विज्ञान के सभी पहलुओं को बढ़ावा देना और उन्हें सुरक्षित रखना है। यही खगोलीय पिंडों का नाम भी निर्दिष्ट करता है। 
सोलन जिले की कुठाड़ पंचायत के गांगुड़ी गांव के रहने वाले जगतराम वर्मा और शकुंतला वर्मा के बेटे अशोक वर्मा ने पांचवीं तक शिक्षा एवीएन स्कूल नाहन से हासिल की थी। जवाहर नवोदय विद्यालय, नाहन से 12वीं कक्षा पास करने के बाद उन्होंने चेन्नई से एअरो स्पेस में बीटेक किया। यहां उनका चयन आईआईटी खडग़पुर के लिए हुआ। इस दौरान वह राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड से भी सम्मानित हुए। इसके बाद उन्होंने एअरो स्पेस एजंसी फ्रांस से पीएचडी की। इसके बाद अशोक वर्मा यूसीएलए कैलिफोर्निया में आठ साल बतौर एस्ट्रो फिजिक्स वैज्ञानिक रहे।
अशोक वर्मा का बचपन से ही सपना था कि वह एक दिन आकाश के ग्रहों की जानकारी जुटाएंगे। वे बचपन से ही खगोलीय घटनाओं और ग्रहों में विशेष रुचि रखते थे। उनकी विलक्षण प्रतिभा के चलते जिस क्षुद्रग्रह को नासा के वैज्ञानिक ने खोजा है उस क्षुद्रग्रह का नाम उसी वैज्ञानिक यानी अशोक के नाम पर रख दिया गया है।
डॉ. अशोक वर्मा पिछले दो साल से नासा में तैनात हैं। नासा में उनको इतना बड़ा सम्मान मिलना पूरे प्रदेश के लिए बड़े ही गर्व की बात है। आईएयू ने गुजरात की भारतीय ग्रह भूविज्ञानी रुतु पारेख, अहमदाबाद के वैज्ञानिक कुमार वेंकटरमणी और भारतीय वैज्ञानिक अश्विन शेखर को भी सम्मानित किया है। 
छोटे भाई की इस उपलब्धि पर डॉ. अशोक के बड़े भाई सुरेंद्र वर्मा और उनके अध्यापकों ने खुशी जताई है। सुरेंद्र वर्मा के अनुसार उनके भाई 323 प्रशस्तिपत्र कर चुके हैं। अशोक वर्मा को एस्ट्रो डायन मिक्स रेडियो साइंस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और शेल स्क्रिप्टिंग में महारत हासिल है। डॉ. वर्मा की रिसर्च से जुड़े 23 पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। अखबारों में आई खबरों के अनुसार अमेरिका से बातचीत में अशोक वर्मा ने बताया कि उन्हें अब तक की उपलब्धियों के लिए यह सम्मान मिला है और इस सम्मान को पाने के बाद वे खुद को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

Post a Comment

0 Comments