पुतिन का पलटवार - वैगनर ग्रुप के विद्रोह को कुचल शक्तिशाली हुए रूसी राष्ट्रपति

पुतिन का पलटवार वैगनर ग्रुप के विद्रोह को कुचल शक्तिशाली हुए रूसी राष्ट्रपति इंदिरा यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए यह पहला मौका था, जिसमें उनकी सत्ता को चुनौती दी गई। उनके ही कट्टर समर्थक माने जाने वाले निजी सेना के स्वामी और व्यापारी वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन का अचानक हुआ 'विद्रोह' किसी आश्चर्य और झटके से कम नहीं था। दुनिया भी इस घटनाक्रम से हैरान थी। जिस तरह की खबरें मीडिया, खासकर पश्चिम मीडिया से आ रही थीं, उससे तो ऐसा लग रहा था कि पुतिन सत्ता खो रहे हैं। लेकिन 24 घंटे के भीतर पुतिन ने ऐसी रणनीति बुनी कि येवगेनी को हथियार डालने पड़े और अपने लड़ाकों को वापस शिविरों में जाने के लिए कहना पड़ा। यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन की यह बड़ी जीत है। व्लादिमीर पुतिन ने जिस रणनीति से इस कथित विद्रोह का सामना किया और बागी हुए निजी सेना और वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन को उनके रूसी होने के ही हथियार से परास्त किया, वह अपने आप में अनोखा था। अभी भी अपने देश में कई भीतरी खतरों के बावजूद पुतिन इस विद्रोह के बहाने कई निशाने साधने में सफल रहे हैं। येवगेनी के 'विद्रोह' के बावजूद रूस में तमाम नेता, सेना, जनता और रूसी राज्यों के नेता पूरी ताकत के साथ पुतिन के साथ खड़े रहे। इससे संकेत मिलता है कि पश्चिमी मीडिया में पुतिन को लेकर रूस में 'नाराजगी' की जो ख़बरें आती रही हैं वो सही नहीं थीं। इस विद्रोह के बहाने पुतिन ने यह भी जांचने की कोशिश की कि क्या रूस के भीतर दूसरे लोग भी उनके खिलाफ विद्रोह की बात करेंगे? लेकिन ऐसा नहीं हुआ। होता तो इस बहा्ने उनकी पहचान हो जाती। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको को पुतिन का दोस्त माना जाता है, उन्होंने ही 'बागी' येवगेनी से बातचीत की। रूस की सरकारी समाचार एजंसी स्पूतनिक न्यूज के मुताबिक इस मध्यस्थता का अच्छा नतीजा निकला और प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए वैगनर नेता येवगेनी ने तनाव कम करने का विकल्प चुना। इसके तुरंत बाद उन्होंने अपने लड़ाकों को वापस लौटने का निर्देश दिया। स्पूतनिक न्यूज़ के मुताबिक क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या वैगनर पीएमसी के साथ हुई घटनाओं का यूक्रेन में ऑपरेशन पर असर पड़ेगा, तो उनका जवाब था कि 'किसी भी परिस्थिति में नहीं'। यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान जारी है, अग्रिम पंक्ति में हमारे सैनिक वीरता का प्रदर्शन कर रहे हैं, वे यूक्रेन के सशस्त्र बलों के जवाबी हमले का काफी प्रभावी ढंग और सफलतापूर्वक मुकाबला कर रहे हैं। ऑपरेशन जारी रहेगा।' पुतिन ने वैगनर ग्रुप के अचानक विद्रोह करने पर इसे देश के खिलाफ विद्रोह की संज्ञा दी। उन्होंने कुछ ही घंटे के भीतर राष्ट्र को सम्बोधित किया और बागियों के खिलाफ सख्ती का संदेश दिया। अभी 12 घंटे भी नहीं हुए थे कि वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन को पीछे हटते हुए हथियार डालने पड़े और उन्होंने एक समझौते के बाद अपने लड़ाकों को वापस जाने का निर्देश दिया। पश्चिमी मीडिया के एक हिस्से में रूस के राष्ट्रपति पुतिन के देश छोड़ने की ख़बरें भी गलत साबित हुईं। वैसे येवगेनी पर तभी दबाव बन गया था जब राष्ट्र को संबोधित करते हुए पुतिन ने इसे विश्वासघात करार दिया। अपने संबोधन में रूसी राष्ट्रपति ने देश की जनता और रूस की रक्षा करने का वादा किया। उन्होंने यह भी कहा कि रूस अपने भविष्य के लिए सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहा है। येवगेनी को इसकी सफाई देनी पड़ी और उन्होंने अपने लड़ाकों को देशभक्त बताया। रूसी जनता का रुख पुतिन के साथ दिखा लिहाजा येवगेनी को अपने लड़ाकों को मॉस्को की तरफ आगे बढ़ने से रुकने के आदेश देने पड़े। रूस ने साफ़ किया कि इस घटनाक्रम से उसके यूक्रेन में आपरेशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वह जारी रहेगा। सिर्फ 12 घंटे के भीतर विद्रोह को परास्त करने की पुतिन ने जैसी रणनीति अपनाई उससे उनके और ताकतवर होने की संभावना है। उन्होंने विद्रोह के तुरंत बाद ही बागियों पर जिस तरह हमला कर उन्हें चेताया था, उससे ही जाहिर हो गया था कि येवगेनी सफल नहीं होंगे। पुतिन की ताकत : जानकार कहते हैं कि यूक्रेन के साथ रूस का युद्ध वास्तव में पूरे नाटो के साथ है और पुतिन ने इसे बेहतर तरीके से संभाला है। तटस्थ रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यूक्रेन के पीछे अमेरिका सहित पूरी नाटो की ताकत रही है। येवगेनी के विद्रोह के समय अमेरिका ने इस मामले पर सधा हुआ रुख अपनाया और कहा कि वह घटनाओं पर नज़र रखे हुए है। यह माना जाता है कि रूस की सेना यूक्रेन युद्ध में येवगेनी की मिशनरी सेन के साथ मिलकर लड़ने में तालमेल की दिक्कत महसूस कर रही थी। येवगेनी के बेलारूस चले जाने के बाद अब शायद यह समस्या उन्हें न झेलनी पड़े। येवगेनी के साथ समझौते में इस बात पर जोर दिया गया कि तनाव में शामिल वैगनर सैनिकों पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। उधर रूस ने आईआरजीसी' और अन्य मीडिया में पुतिन के देश से पलायन की ख़बरों को फर्जीवाड़ा बताते हुए इन्हें पूरी तरह खारिज कर दिया। येवगेनी प्रिगोझिन की स्थिति पर प्रवक्ता पेस्कोव ने कहा कि व्यवसायी को देश छोड़ने की अनुमति दी जाएगी। इससे पहले येवगेनी के जो वीडियो सामने आये थे, उनमें वे पुतिन सहित रक्षा मंत्री को भी चुनौती देते दिख रहे थे। समझौते के बाद रूस ने कहा कि प्रिगोझिन के खिलाफ आपराधिक मामला समाप्त कर दिया जाएगा और वह बेलारूस के लिए रवाना हो जाएंगे। उन्होंने मीडिया के लोगों से कहा, 'यदि आप पूछते हैं कि क्या गारंटी है कि प्रिगोझिन बेलारूस के लिए रवाना हो सकते हैं, तो आपको बता दें कि यह रूसी राष्ट्रपति के शब्द हैं।' येवगेनी ने इससे पहले रूस के रक्षा मंत्रालय पर आरोप लगाया था कि उसने वैगनर के शिविर पर मिसाइल हमला किया है। साथ ही जवाबी कार्रवाई की बात कही थी। हालांकि रूस के रक्षा मंत्रालय ने इस आरोप से इनकार किया और उकसावे का आरोप लगाया। इसके कुछ घंटे बाद ही वैगनर लड़ाकों के दक्षिणी रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन में एक सैन्य फैसिलिटी पर कब्जा करने की रिपोर्ट आईं। इसके ही बाद येवगेनी प्रिगोझिन ने अपने लड़ाकों को मॉस्को की तरफ बढ़ने का आदेश दिया था। रूसी घटनाक्रम पर अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने सूत्रों के हवाले से लिखा - 'विद्रोह से पहले अमेरिका के अधिकारियों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस खतरे के बारे में अलर्ट करने की कोई योजना नहीं थी, क्योंकि उन्हें डर था कि रूस उन पर तख्तापलट करने का आरोप लगा सकता है'। रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी अधिकारी कथित तौर पर इस संभावित संघर्ष को लेकर परेशान थे, क्योंकि उन्हें चिंता थी कि रूस में अराजकता से परमाणु जोखिम पैदा हो सकते हैं।

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