खालिस्तानी आतंकियों के पीछे नापाक आईएसआई

खालिस्तानी आतंकियों के पीछे नापाक आईएसआई
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पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट को फिर से खड़ा करने की कोशिशों के पीछे पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजंसी आईएसआई का हाथ है। पंजाब में पिछले कुछ समय में आईएसआई के समर्थन वाले आतंकी गुट मजबूत और सक्रिय हुए हैं। इनमें खालिस्तान कमांडो फोर्स, भिंडरावाले कमांडो फोर्स ऑफ खालिस्तान, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, सिख फॉर जस्टिस, खालिस्तान लिबरेशन आर्मी शामिल हैं। इन संगठनों को ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी से फंडिंग हो रही है। पाकिस्तान और चीन उन्हें हथियार और ड्रग्स की आपूर्ति कर रहा है। पंजाब में पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हथियार और नशीले पदार्थ भेजने के मामले रोज सामने आ रहे मामले इसका सुबूत हैं
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विशेष प्रतिनिधि 
पाकिस्तान पंजाब में अस्थिरता फैलाने की हमेशा साजिशें करता रहता है। पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट को फिर से खड़ा करने की कोशिशों के पीछे पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजंसी आईएसआई का हाथ है। पंजाब में पिछले कुछ समय में आईएसआई के समर्थन वाले आतंकी गुट मजबूत और सक्रिय हुए हैं। इनमें खालिस्तान कमांडो फोर्स, भिंडरावाले कमांडो फोर्स ऑफ खालिस्तान, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, सिख फॉर जस्टिस, खालिस्तान लिबरेशन आर्मी शामिल हैं। इन संगठनों को ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी से फंडिंग हो रही है। पाकिस्तान और चीन उन्हें हथियार और ड्रग्स की आपूर्ति कर रहा है। पंजाब में पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हथियार और नशीले पदार्थ भेजने के मामले रोज सामने आ रहे मामले इसका सुबूतहैं। 
इसी तरह जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की सख्ती के बाद आईएसआई ने अपना ध्यान फिर से पंजाब पर केंद्रित कर दिया है। अमेरिका के एक थिंकटैंक की रपट के अनुसार आईएसआई करीब साढ़े चार दर्जन खालिस्तानी और कश्मीरी अलगाववादी गुटों को मुहैया करा रही है। बदले में ये संगठन अमेरिका में भारत विरोधी जमीन तैयार कर रहे हैं। खास बात यह है कि खालिस्तान मूवमेंट के सबसे कट्टर समर्थक ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में ही हैं। यहां की सरकारें उनपर कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं ।  
पंजाब और दूसरे मुल्कों में एक साजिश के तहत खालिस्तान मूवमेंट को खड़ा करने के प्रयासों के पीछे पाकिस्तानी एजंसी आईएसआई है यह इससे भी सिद्ध होता है कि सिख फॉर जस्टिस का संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू खालिस्तान के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने को लेकर पाकिस्तान की यात्रा कर चुका है। इस दौरान उसकी मुलाकात आईएसआई और उसके गुर्गे आतंकवादी संगठनों के सदस्यों के साथ हुई थी। पन्नू ने आईएसआई को अपने उन समर्थकों की सूची भी सौंपी थी जो दूसरे मुल्कों में उसकी नापाक मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीय दूतावासों पर हमले के पीछे आईएसआई ने खालिस्तान समर्थकों को उकसाया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूएपीए के तहत गुरपतवंत सिंह पन्नू को आतंकवादी घोषित किया है।
यही गुरपतवंत सिंह पन्नू पंजाब में आतंकवाद फैलाने की नापाक कोशिशों में लगे दो मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकवादी अवतार सिंह खांडा, इंग्लैड़ और हरदीप सिंह निज्जर कनाडा में जब 120 घंटे के भीतर मारे गए और मई के शुरू में लाहौर में आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवड़ की हत्या के बाद दहशत में आकर भूमिगत हो गया। ऐसे में कनाडा में खालिस्तान समर्थकों ने यह कहना शुरू कर दिया कि इन हत्याओं के पीछे भारत सरकार का हाथ है। इसके बाद मीडिया में यह खबर फैल गई कि खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू कार हादसे में मारा गया है। सोशल मीडिया पर अमेरिका में एक कार हादसे का फोटो डाल कर इस हादसे को पुख्ता बताने का प्रयास किया गया।  
ऐसे में खुद गुरपतवंत सिंह पन्नूू ने न्यूयार्क  से अपना एक वीडियो डाल कर बताया कि मैं यूएन मुख्यालय के बाहर खड़ा हूं। एक दिन यहां पर खालिस्तान का झंडा चढ़ेगा। पन्नू  ने कनाडा में होने वाले जनमत संग्रह की तिथि भी घोषित कर दी। दूसरी ओर केंद्रीय जांच एजंसियों के सूत्रों ने कहा है कि ये सब एक रणनीति का हिस्सा है। खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू खुद ही 'जाल' में फंसने जा रहा है।  
पन्नू ने वीडियो में कहा कि कनाडा या ब्रिटेन में जो खालिस्तानी मारे गए हैं, उसके लिए अमेरिका, यूके और कनाडा के दूतावास अधिकारी जिम्मेदार हैं। उसने दावा किया है कि वह अभी जिंदा है। पन्नू का यह वीडियो 5 जुलाई को बनाया गया है। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर खड़ा पन्नूू कह रहा है कि 16 जुलाई को मालटोन, कनाडा में खालिस्तान के मुद्दे पर वोटिंग होगी। इसके बाद पन्नू ने वोटिंग के दूसरे चरण की भी घोषणा करते हुए कहा कि 10 सितंबर को वैंकुवर, कनाडा में वोट डाले जाएंगे। उसने कहा कि भारत सरकार पंजाब में ठीक नहीं कर रही है। 
इसके साथ ही पन्नू ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय राजनयिकों का हाथ होने की बात कही है। उसने कहा कि ऐसे लोगों को कानूनी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा। उसने वीडियो में कहा कि जिस किसी को मुझसे मिलना है, वो न्यूयार्क आ जाए। मैं यही पर हूं। पन्नूू की मौत की खबर को कैलिफोर्निया में 'द खालसा टुडे' के प्रधान संपादक और सीईओ सुक्खी चहल ने गलत बताया था। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि यह महज एक अफवाह है।
इस मामले में भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि पन्नू एक जाल में फंस रहा है। खालिस्तान की समस्या को लेकर भारत सरकार कई मोरचों पर काम कर रही है। खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू जहां भी है उसे कानूनी तरीके से पकड़ा जाएगा। इसके लिए अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन की सरकारों से पत्राचार शुरू हो रहा है। खुद विदेश मंत्री जयशंकर इस मामले में सख्त प्रक्रिया अपनाने की बात कह चुके हैं।  सूत्रों के अनुसार राजयनिक तरीकों पर काम हो रहा है। जिस दायरे में पन्नू रह रहा है, वहां तक भारतीय एजंसियों की पहुंच है।  बस, इतना कहा जा सकता है कि पन्नू अब बहुत लंबा नहीं खेल पाएगा। कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से वह शिकंजे में आ जाएगा।   
उल्लेखनीय है कि विदेशी मुल्कों की धरती से भारत में आतंकवाद फैलाने वाले दो मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकवादियों के 120 घंटे के भीतर मारे जाने से गुरपतवंत सिंह पन्नूू को गहरा झटका लगा था। बीती 15 जून को बर्मिंघम के एक अस्पताल में खालिस्तानी आतंकी अवतार सिंह खांडा की मौत हो गई थी। उसने लंदन स्थित भारतीय दूतावास पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज को उतारकर उसका अपमान किया था। इसके बाद 19 जून को कुख्यात खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में दो लोगों ने गोलियां चलाकर हत्या कर दी थी। गोलीबारी की यह घटना सरीं स्थित गुरुद्वारा साहिब की पार्किंग में हुई। ये दोनों आतंकवादी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजंसी की मोस्ट वांटेड टेररिस्ट लिस्ट में शामिल थे। हरदीप सिंह निज्जर पर तो राष्ट्रीय सुरक्षा एजंसी ने दस लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।  
इससे पहले छह मई को लाहौर में अज्ञात बाइक सवारों ने जौहर कस्बे की सनफ्लावर सोसाइटी में घुसकर आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवड पर तबाड़तोड़ गोलियां बरसाकर उसे मार गिराया था। पंजवड़ की मौके पर ही मौत हो गई। पजंवड़ लाहौर में मलिक सरदार सिंह के छद्म नाम से रह रहा था। जानकारी के अनुसार हमलावर सुबह 6 बजे बाइक पर सवार होकर सोसाइटी में घुसे थे। वे परमजीत सिंह पंजवड़ को गोलियां मारकर मौके से फरार हो गए।
इन घटनाओं के बाद अब कनाडा और दूसरे मुल्कों में बैठे खालिस्तान समर्थकों का पसीना छूटने लगा है। इसके बाद ही खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नूू भूमिगत हो गया था। गुरपतवंत सिंह पन्नूू ही एकमात्र ऐसा शख्स रहा है, जिसने कभी भारतीय सुरक्षा और जांच एजंसियों की परवाह नहीं की। किसान आंदोलन के दौरान उसने कई बार यह कहा था कि जो व्यक्ति लाल किले से तिरंगा उतार कर वहां खालिस्तानी झंडा फहराएगा, उसे भारी इनामी राशि दी जाएगी। उसके बाद 26 जनवरी और 15 अगस्त को लेकर भी पन्नूू ने धमकी भरे ऑडियो-वीडियो जारी किए थे।  पंजाब में जब अमृतपाल सिंह फरार हुआ था उस दौरान भी केंद्रीय नेताओं को धमकी दी गई। जी 20 की पंजाब और जम्मू-कश्मीर में हुई बैठकों से पहले भी पन्नूू ने हमला करने की धमकी दी थी। भारत खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की सरकारों के साथ कई बार अपनी नाराजगी जता चुका है। अवतार सिंह खांडा ने लंदन स्थित भारतीय दूतावास पर तिरंगे को उतारने का दुस्साहस किया था, वह वहां खुलेआम घूमता रहता था।पर उसपर वहां की सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी तरह भारत सरकार ने पिछले साल गुरपतवंत सिंह पन्नूू के खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का आग्रह किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया। इंटरपोल का कहना था कि भारत सरकार पन्नूू के खिलाफ पर्याप्त सुबूत देने में असफल रही, जिस वजह से पन्नूू के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी नहीं किया गया।
पंजाब और हरियाणा में भी गुरपतवंत सिंह पन्नूू के खिलाफ केस दर्ज हैं। इसके बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। इसकी वजह यह है कि गुरपतवंत सिंह पन्नूू भारत का नागरिक नहीं है। पन्नूू कभी अमेरिका में रहता तो कभी ब्रिटेन और कभी कनाड़ा में।  वहां से वह पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद को उकसाने की नापाक कोशिशें करता रहता है। गुरपतवंत सिंह पन्नूू के पास वहां की नागरिकता है। इस वजह से उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई में मुश्किल आ रही है।


 

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