आए आपदा जी झूमते

अशोक गौतम
अशोक गौतम



होरी के बेलारी में विपदाएं तो हरदम रहती ही हैं, लेकिन अब भारी बारिश के चलते आपदा भी आ पहुंची थी मुस्कराती हुई। दिल्ली के लाल किले से होरी के गांव बेलारी तक दूरबीन से जहां तक मुझे दिख रहा था, बस पानी ही पानी दिख रहा था। पता ही नहीं चल रहा था कि बेलारी में पानी है या पानी में बेलारी। 
 अचानक होरी का फोन आया, 'और बंधु क्या कर रहे हो?Ó
'दिल्ली के लालकिले से बाढ़ के नजारों का परमानंद ले रहा हूं। मत पूछो दूर से बाढ़ का पानी आंखों को कितनी शीतलता प्रदान कर रहा है। और होरी! तुम क्या कर रहे हो?Ó
'करना क्या बाबू साहेब! भैंसों की पीठ पर तैरते हुए जान बचा रहे हैं। गांव में पांव से सिर तक पानी भर गया है। गैस के खाली सिलेंडर पानी में तैर रहे हैं। चारपाइयां पानी में तैर रही हैं। लुगाइयां पानी में तैर रही हैं। आटे दाल के कनस्तर पानी में तैर रहे हैं।Ó होरी ने रूटीनन कहा। 
 'चलो होरी, अच्छी बात है। सारा साल तो तुम कर्ज में ही डूबे रहते हो, बाढ़ के दिनों में कुछ तैर तो लेते हो। तो बेलारी में आपदा वाले नहीं आए?Ó 
 'पटेश्वरी से पता चला है कि वे बेलारी में पहुंचने वाले हैं। अभी राय साहब के घर पर टिके हैं। पर...Ó
'अभी भी पर वर ही होरी! समझो अब तुम राहत के बिलकुल करीब हो।Ó मैंने उसे बधाई देते कहा 
इसपर होरी बोला, 'आपकी कसम बाबू साहेब! माफ कीजिएगा! आपदा से हम गांव के लोगों को उतना डर नहीं लगता जितना डर आपदा का जायजा लेने आने वालों से लगता है।Ó बेशर्म! पानी में गले गले तक डूबा भी होरी सच कहना नहीं छोड़ेगा तो नहीं छोड़ेगा। उसे कोई सुने या न सुने! 
'क्या मतलब तुम्हारा?Ó बींग ए कर्तव्यनिष्ठ सरकारी कर्मचारी मुझे उसपर गुस्सा भी आया। पता नहीं इस होरी के गंदे दिमाग में बसी हमारी छवि कब सुधरेगी? जिसके दिमाग में एक बार सरकारी कर्मचारियों की गंदी छवि बन जाती है, उस दिमाग को चाहे कितने भी महंगे डिटर्जेंट से क्यों न धो लो, वह साफ नहीं होता, तो नहीं होता।Ó 
'तो कौन-कौन आ रहे हैं तुम्हारी आपदा देखने होरी?Ó
'आने कौन साहेब! वही पुराने वे, वही पुराना उनका टोला! आज तक हमारे गांव जो भी आया राहत के नाम पर हमें सब्जबाग दिखाकर, विकास की उंगलियों पर नचाकर, अपना स्वागत करवाने ही आया है। पटेश्वरी ने कहा है कि राय साहब के साथ तहसीलदार, पंडित दातादीन, मिस्टर खन्ना, पंडित नोखे राम, ढिंगुरी सिंह, दुलारी साहुआइन, गंडा सिंह, मिर्जा खुर्शेद, मंगरू साह, श्याम बिहारी तंखा और चार पांच नए आपदा अधिकारी अपने-अपने परिवार के साथ आ रहे हैं, जिन्होंने पहले आपदा से सजा गांव कभी नहीं देखा है।Ó
'तो क्या सोचा तुमने उनके स्वागत के लिए खास होरी?Ó
'सोचा क्या बाबू साहेब! गोबर, मालती, धनिया, झुनिया, सिलिया, भोला, हीरा, शोभा, सोना सब अपना-अपना दर्द भुलाए, बाढ़ में हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए आ रही आपदा टीम के स्वागत के लिए बाढ़ के पानी में एक-दूसरे से बढ़ -ढ़ कर तैयारियों में जुटे हैं ताकि आपदा टीम के स्वागत में कोई कमी न रहे।Ó 
'तो मेरे लायक कोई सेवा?Ó
'बस, मेरा फोन रिचार्ज करवा दो साहेब! तहेदिल से शुक्रगुजार रहूंगा। दो घंटे बाद मेरा पैक खत्म हो रहा है। पैक खत्म हो गया तो आपदा कमेटी का स्वागत करने के इंतजाम में दिक्कत आएगी। और आप तो जानते ही हैं कि जो दिक्कत आई तो मेरी वजह से गया गांव पानी में।Ó
मैंने तत्काल होरी का नंबर लिया और उसे ऑन लाइन रिचार्ज करवा दिया ताकि अपने नरम चारा होरी को आपदा देवोभव: मानने में कोई विघ्न न आए। 

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