देश का शेयर बाजार लगातार इतिहास रच रहा है। संसेक्स ने कारोबार के दौरान 13 जुलाई को पहली बार 66 हजार के लेवल को पार किया जबकि निफ्टी ने 19500 की रेखा को पार किया। यह खबर भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती की ओर संकेत करती है। साथ ही देश के पूंजी बाजार में निवेशकों के पुख्ता होते जा रहे भरोसे को भी दर्शाती है। शेयर बाजार की यह ऐतिहासिक छलांग अप्रत्याशित नहीं है। पिछले कुछ समय से शेयर बाजार के रुख को देखकर ऐसी ही उम्मीद थी। बहरहाल, शेयर बाजार में ऐतिहासिक उछाल से देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती झलकती है, लेकिन इस मजबूती के बीच छोटे निवेशकों को शेयर बाजार की चकाचौंध से दूर रहते हुए सोच-समझकर निवेश करना चाहिए। ऐसे निवेशकों को म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करना चाहिए। म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर इसने निवेशकों को निराश नहीं किया और अच्छा रिटर्न भी दिया है। म्यूचुअल फंडों में कई तो ऐसे हैं, जिन्होंने 50 फीसद से भी ज्यादा रिटर्न दे दिया है।
असल में, शेयर बाजार की इस तेजी का सबसे ज्यादा खतरा छोटे निवेशकों को ही है। शेयर बाजार की रपटीली राह और भंवरजाल में फंसकर उनकी गाढ़ी कमाई डूब सकती है। हालांकि भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) शेयर बाजार के हालात पर कड़ी नजर रखते हैं, लेकिन निगरानी में जरा सी चूक और बाजार की मामूली सी उथल-पुथल छोटे निवेशकों को डुबो सकती है। बड़े निवेशक शेयर बाजार की छलांग से उत्साहित है, लेकिन शेयर बाजार के माहिर इसके खतरों से भी बखूबी परिचित हैं, तभी वे छोटे निवेशकों को आगाह करते हैं। छोटे निवेशकों को इस चेतावनी के मायने समझने होंगे। शेयर बाजार के अतिहास पर नजर डालने से पता चलता है कि शेयर बाजार की उथल-पुथल से सबसे ज्यादा नुकसान छोटे निवेशकों का ही होता है। इसलिए उनके सोच-समझकर और शेयर बाजार के माहिरों से विमर्श करने के बाद ही निवेश करना बेहतर रहेगा।
शेयर बाजार के इतिहास पर नजर डालने से पता चलेगा कि पिछले तीन बरसों में भारतीय बाजार की ग्रोथ 78.4 फीसद रही है भारत 301 लाख करोड़ रुपये मार्केट कैप के साथ दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है। पिछले तीन साल में सेंसेक्स में 78.4 फीसद की ग्रोथ रही है। अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज 2055 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैप के साथ दुनिया में नंबर एक पर है। इसमें पिछले तीन सालों में 38.1 फीसद की ग्रोथ रही। भारत में शेयरों ने अब तेजी का रुख अपनाया और नित नई ऊंचाइयाँ छूकर निवेशकों को लुभाने लगे हैं। इससे छोटे-बड़े सभी निवेशकों का लालच में आना स्वाभाविक है। असल में, पूंजी बाजार की अधिकांश गड़बड़ियां बेनामी खातों के माध्यम से होती हैं, ऐसे में छोटे निवेशकों को चोट पहुंचने का खतरा बराबर बना रहता है पर इधर, सरकार की पुख्ता व्यवस्था के चलते इस प्रवृत्ति पर बेशक अंकुश लगा है, लेकिन खतरा पूरी तरह दूर नहीं हुआ है। कुल मिलाकर, शेयर बाजार की तेजी को बनावटी या हवाई मानकर सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इससे सावधान रहते हुए निवेशकों खासकर छोटे निवेशकों को सोच-समझकर कदम उठाने होंगे।
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